tag:blogger.com,1999:blog-128401558887751783.post4791089264658107407..comments2011-11-14T09:14:19.681-08:00Comments on वातायन: बेगैरतwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-128401558887751783.post-77640798413668026162011-03-10T12:37:40.525-08:002011-03-10T12:37:40.525-08:00मार्मिक ..संवेदनशील रचना ...... बहुत अच्छे ढंग से ...मार्मिक ..संवेदनशील रचना ...... बहुत अच्छे ढंग से विद्रूपताओं को उकेरा आपने..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-128401558887751783.post-77971898573074177992011-03-10T05:10:19.208-08:002011-03-10T05:10:19.208-08:00बहुत सही कहा .. मरते ही लोगो में निहित मानवता ही म...बहुत सही कहा .. मरते ही लोगो में निहित मानवता ही मर गयी..कवि ने कारण भी बताया की इसका करण अशिक्षा अभाव होगा... आपकी यह रचना कल चर्चामंच पर होगी... आपका आभार ..आप वहाँ आ कर हमें अनुग्रहित करियेगाडॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-128401558887751783.post-57403327747738550172011-03-08T07:12:39.091-08:002011-03-08T07:12:39.091-08:00इस गैरत की तह में शायद
अशिक्षा अभाव
व गरीबी ही होग...इस गैरत की तह में शायद<br />अशिक्षा अभाव<br />व गरीबी ही होगी<br />इससे रहना है गर दूर<br />तो अपनी नीयत हमें<br />साफ़ रखनी ही होगी<br />हमेशा साफ़ ही रखनी होगी....<br />मार्मिक रचना। हमारी संवेदनायें दिन ब दिन मरती जा रही हैं। पूरी रचना बहुत अच्छी लगी। अम्बरीश जी को बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com