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Saturday, February 26, 2011

लोग बन्दर से नचाये जा रहे है

खोट के सिक्के चलाये जा रहे है
लोग बन्दर से नचाये जा रहे है

आसमां में सूर्य शायद मर गया है
मोमबत्ती को जलाये जा रहे है

देखिये तांडव यहाँ पर हो रहा है
रामधुन क्यों गुनगुनाये जा रहे है

जो पिघल कर मोम से बहने लगे है
लोग वो काबिल बताये जा रहे है

आप को वो स्वप्नजीवी मानते है
स्वप्न अब रंगीन लाये जा रहे है

देखते है आसमां कैसे दिखेगा
शामियाने और लाये जा रहे है

:- अश्विनी कुमार शर्मा
  • ashvaniaugust@gmail.com

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4 comments:

  1. शायद पहली बार पढ़ रहा हूँ आपको, खूबसूरत शेर कहे हैं भाई। बधाई।

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  2. बहुत खूबसूरत शे’र बहुत बहुत बधाई।

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  3. abhaar tilak raj ji,blog par anya rachanayen hai

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