किसी के नाम के आँसू बहा दिये गए क्या
तो क्या हमारा कोई मुंतज़िर नहीं है वहाँ
वो जो चराग थे सारे बुझा दिये गए क्या
उजाड़ सीने में ये साँय साँय आवाजें
जो दिल में रहते थे बिल्कुल भुला दिये गए क्या
हमारे बाद न आया कोई भी सहरा तक
तो नक्श-ए-पा भी हमारे मिटा दिये गए क्या
ये रात कैसे अचानक निखर निखर सी गयी
अब उस दरीचे से परदे हटा दिये गए क्या
:- मनोज अज़हर
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तो क्या हमारा कोई मुंतज़िर नहीं है वहाँ
वो जो चराग थे सारे बुझा दिये गए क्या
उजाड़ सीने में ये साँय साँय आवाजें
जो दिल में रहते थे बिल्कुल भुला दिये गए क्या
हमारे बाद न आया कोई भी सहरा तक
तो नक्श-ए-पा भी हमारे मिटा दिये गए क्या
ये रात कैसे अचानक निखर निखर सी गयी
अब उस दरीचे से परदे हटा दिये गए क्या
:- मनोज अज़हर
- azhar.manoj@gmail.com
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शायद पहली बार पढ़ रहा हूँ आपको, गज़ब शेर कहे हैं भाई। बधाई।
ReplyDeletevaah ..
ReplyDeleteवाह भाई वाह, हर एक शे’र शानदार। मनोज जी को बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteBahut Achche sher padhvaye aapne , Badhai!!!!
ReplyDeleteTILAK RAAJ SAHIB...utsaahwardhan ke liye bahut dhanyabaad !
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